नो यू पी आई: छोटे व्यापारियों का डिजिटल भुगतान से किनारा – एक गंभीर आर्थिक संकेत

 

नो यू पी आई: छोटे व्यापारियों का डिजिटल भुगतान से किनाराएक गंभीर आर्थिक संकेत

भारत का UPI (Unified Payments Interface) पेमेंट सिस्टम आज विश्वभर में एक मिसाल बन चुका है। वर्ल्ड बैंक जैसे वैश्विक संस्थानों ने इसकी सराहना की है, और भारत सरकार भी इस डिजिटल क्रांति को गर्व से पेश कर रही है। भारत ने केवल सबसे तेज़ गति से डिजिटल ट्रांजैक्शन को अपनाया है, बल्कि सबसे ज्यादा डिजिटल भुगतान भी यहीं हो रहे हैं।

 

लेकिन सवाल यह उठता है कि जब यह माध्यम इतना सुविधाजनक और प्रभावी है, तो फिर क्यों कुछ व्यापारी खासकर छोटे दुकानदार, इसे अपनाने से पीछे हट रहे हैं? कुछ स्थानों पर तो दुकानों पर ऐसे बोर्ड तक देखने को मिल रहे हैं – “Only Cash, No UPI” यह एक चौंकाने वाली स्थिति है, और इसे समझना ज़रूरी है।

 

कर्नाटक में क्या हुआ?

हाल ही में कर्नाटक के वाणिज्य कर विभाग ने एक अहम कदम उठाया। विभाग ने UPI लेनदेन डाटा का उपयोग करते हुए ऐसे व्यापारियों की पहचान की जो GST (Goods and Services Tax) में पंजीकृत नहीं थे, लेकिन उनका कारोबार पंजीकरण की सीमा को पार कर रहा था। जुलाई 2024 में ऐसे लगभग 14,000 व्यापारियों को नोटिस भेजे गए।

इन व्यापारियों ने डिजिटल माध्यम से भुगतान स्वीकार तो किया, लेकिन उन्हें अंदाज़ा नहीं था कि ये ट्रांजैक्शंस टैक्स डिपार्टमेंट की नजर में सकते हैं। अब सरकार कह रही है कि उन्हें GST में पंजीकरण कराना होगा और पिछली तारीखों से टैक्स जमा करना होगा। इससे छोटे व्यापारियों में घबराहट का माहौल बन गया है।

 

सरकार की मंशा और व्यापारियों की चिंता

कर्नाटक सरकार का GST संग्रह लक्ष्य ₹1.2 लाख करोड़ है, लेकिन अब तक केवल ₹21 करोड़ ही जमा हुआ है। ऐसे में सरकार अब अपंजीकृत व्यापारियों को टैक्स के दायरे में लाकर इस लक्ष्य को प्राप्त करना चाहती है।

UPI ट्रांजैक्शन, पैन और आधार से जुड़े केवाईसी सत्यापित बैंक खातों से किए जाते हैं, जिससे यह डेटा पूरी तरह से ट्रेस किया जा सकता है। GST एक्ट की धारा 22 के अनुसार, जिनका सालाना टर्नओवर ₹40 लाख (सामान) या ₹20 लाख (सेवाएं) से अधिक है, उन्हें रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।

CGST अधिनियम की धारा 63 के अंतर्गत टैक्स अधिकारी सर्वोत्तम निर्णय के आधार पर टैक्स निर्धारित कर सकते हैं। इससे व्यापारी चिंतित हैं क्योंकि उनका मुनाफा भले कम हो, लेकिन कुल ट्रांजैक्शन वैल्यू बहुत अधिक दिख रही हैजिससे उन्हें टैक्स का अतिरिक्त बोझ झेलना पड़ सकता है।

 

बाजार की प्रतिक्रिया: "नो यूपीआई" की लहर

इस घटनाक्रम के परिणामस्वरूप कर्नाटक के कई व्यापारियों ने UPI पेमेंट लेना बंद कर दिया है। दुकानों पर "Only Cash" के बोर्ड लग गए हैं। डिजिटल ट्रांजैक्शन की ट्रेसबिलिटी के कारण व्यापारी अब इससे बचना चाहते हैं, जिससे डिजिटल इकॉनमी को बड़ा झटका लग सकता है।

सरकार का यह रुख भलेकर अनुपालन’ (tax compliance) के लिए हो, लेकिन इसके चलते डिजिटल भुगतान से विश्वास हटने लगा है, जो भविष्य में पूरे देश में फैल सकता है।

 

विशेषज्ञों की सलाह: विरोध नहीं, समाधान अपनाएं

टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि व्यापारियों को नोटिस का जवाब अवश्य देना चाहिए। विरोध करने से बेहतर है कि कंपोज़िशन स्कीम जैसी सरलीकृत टैक्स स्कीम का लाभ उठाया जाए।

कंपोज़िशन स्कीम छोटे व्यापारियों के लिए है, जिसमें कम टैक्स दर पर भुगतान करना होता है। हालांकि इसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलता, लेकिन टैक्स देनदारी कम हो जाती है, जिससे व्यापार को सुचारू रूप से चलाया जा सकता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ