NATO प्रमुख की भारत, चीन और ब्राज़ील को धमकी — क्या वैश्विक शक्ति संतुलन बदल रहा है?
हाल ही में
NATO प्रमुख मार्क रूटे ने भारत, चीन और ब्राज़ील को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने रूस से व्यापार जारी रखा, तो उन पर
100% टैरिफ और कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। इस धमकी ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है।
🔴 क्या कहा
NATO प्रमुख ने?
रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों को सेकेंडरी प्रतिबंध झेलने होंगे।
भारत सहित कई देशों को चेताया गया कि वे रूस पर दबाव बनाएं।
अन्यथा उन्हें भारी टैरिफ और आर्थिक दंड के लिए तैयार रहना चाहिए।
🌍 ग्लोबल साउथ बनाम ग्लोबल नॉर्थ — नया संघर्ष?
भारत, ब्राज़ील और चीन ग्लोबल साउथ के मजबूत प्रतिनिधि हैं।
यह चेतावनी अब उत्तर बनाम दक्षिण की दिशा में बढ़ते तनाव को दर्शा रही है।
भारत ने अब तक रूस से सस्ता तेल खरीदकर अपनी जनता और वैश्विक तेल कीमतों दोनों को राहत दी है।
🛢️ भारत का रूस से सस्ता तेल खरीदना — समस्या या समाधान?
भारत 85%
तेल आयात करता है — रूस से सस्ते तेल ने:
घरेलू कीमतों को नियंत्रित किया,
और रिफाइन होकर यूरोप को भी भेजा गया।
अमेरिका और यूरोप ने भी अप्रत्यक्ष रूप से इसका फायदा उठाया।
⚠️ NATO का इतिहास और अमेरिका की भूमिका
1949
में बना
NATO — सोवियत संघ के खतरे को रोकने के लिए।
1991
में सोवियत संघ के विघटन के बाद
NATO का मूल उद्देश्य ख़त्म हो गया था।
अब यह अमेरिका की वैश्विक दबाव नीति का उपकरण बन चुका है।
💬
NATO प्रमुख मार्क रूट और ट्रंप की निकटता
मार्क रूट ने ट्रंप को
"NATO का डैडी"
कहा।
ट्रंप की नीति:
NATO देशों को GDP
का 5% योगदान देना चाहिए।
ट्रंप के दबाव में रूट अब भारत, चीन, ब्राज़ील को धमका रहे हैं।
🚫 क्या भारत झुकेगा?
पहले भी ट्रंप ने रूस से व्यापार करने वालों पर
500% टैरिफ की बात कही थी।
अब
NATO प्रमुख ने वही भाषा अपनाई है — यह दिखाता है कि:
अमेरिका और
NATO अब व्यापार को हथियार बना रहे हैं।
स्वतंत्र देशों की संप्रभुता पर हस्तक्षेप बढ़ रहा है।
💡 ग्लोबल साउथ की चुनौती: भारत, ब्राज़ील, चीन एकजुट?
BRICS
देश अमेरिका के बढ़ते प्रभाव का विरोध कर रहे हैं।
भारत अकेला नहीं है — चीन और ब्राज़ील भी ऐसे ही दबाव का सामना कर रहे हैं।
अब समय आ गया है कि ये देश एक संगठित स्वर में जवाब दें।
❓ क्या
NATO अब अमेरिका का निजी एजेंडा बन गया है?
अमेरिका की नीति अब:
धमकी देना,
टैरिफ लगाना,
और दूसरों को युद्ध में खींचना बन गई है।
NATO
जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना खतरनाक संकेत है।
निष्कर्ष: अब भारत को क्या करना चाहिए?
भारत को दबाव में आकर निर्णय नहीं लेना चाहिए।
राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए स्वतंत्र नीति बनानी चाहिए।
रूस से व्यापार जारी रखना केवल भारत का ही नहीं, वैश्विक स्थिरता का सवाल है।
📢 आपका क्या विचार है?
अपने विचार हमें कमेंट में ज़रूर बताएं।

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